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ख्याल गायन

ख्याल गायन

 

ख्याल शब्द फारसी भाषा से आया है जिसका अर्थ है कल्पना 

इस गायन शैली में कल्पना को अधिक महत्व दिया जाता है जैसे किसी की याद में या किसी का वर्णन करके गाया जा रहा हो इसी लिए इसे ख्याल कहा जाता है 

इस गायन में स्वरों को अधिक सजा कर प्रस्तुत किया जाता है यह एक काफी खूबसूरत गाय शैली है 

ख्याल गायकी में इसके सभी चरणों का विशेष ध्यान रखा जाता है जिसमे आलाप, तान, खटका, कण, इत्यादि का प्रयोग दिखाया जाता है 

इस गायकी में स्वरों की स्थिरता व् गले की सफाई पर अधिक बल दिया जाता है 

ख्याल के दो प्रकार है 

विलम्भित ख्याल 

द्रुत ख्याल 

विलम्भित ख्याल – यह काफी धीमी गति से स्वरों पर ज़ोर देकर गाया जाता है इसे बड़ा ख्याल भी कहा जाता है इसके साथ तबले का प्रयोग होता है यह ख्याल एकताल, तिलवाड़ा, झुमरा, झपताल, चरताल, इत्यादि में गाया जाता है 

द्रुत ख्याल – इसकी गति तेज़ होती है इसे छोटा ख्याल भी कहा जाता है इसमें स्थायी व् अंतरा केवल दो भाग होते है यह तीनताल, एकताल, रूपक, झपताल, आदि में गाया जाता है

मध्यकाल में जो स्थान द्रुपद गायन को प्राप्त था आज उसकी जगह ख्याल गायकी ने लेली है

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