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टप्पा गायन

टप्पा गायन

 

टप्पा गायन पंजाबी भाषा में अधिक प्रयोग होता है 

इसकी लय काफी गतिमान होती है इसकी गति अन्य गीत के प्रकारो से बिलकुल भिन्न होती है 

टप्पा भैरवी, काफी, पीलू, देश, खमाज, झिंझोटी, आदि गतिमान रागो में गाया जाता है 

टप्पा गायन में भी दो ही भाग होते है स्थायी और अंतरा 

टप्पा में छोटी और काफी बल वाली तानो का प्रयोग होता है 

गले के द्वारा खटका, मींड, का प्रयोग अधिक से अधिक किया जाता है 

इसके साथ एक खास ताल बजायी जाती है जिसका नाम भी टप्पा ताल है 

टप्पा गायकी और ताल का प्रचार पंजाब, बंगाल, व् उत्तरप्रदेश में अधिक है 

मुहम्मद शाह ज़फर के समय में गुलाम नबी शोरी ने इस गायकी का आविष्कार किया था

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