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ठुमरी गायन

ठुमरी गायन

 

इस गायकी में राग के विस्तार से ज़्यादा भाव की सुंदरता पर ध्यान दिया जाता है 

इसकी लय ख्याल गायकी की तुलना में गतिमान होती है 

ठुमरी खास तोर पर खमाज, देश, तिलककामोद, तिलंग, पीलू, काफी, भैरवी, इत्यादि रागो में गाया जाता है  

यह बहुत ही सूंदर गायन शैली है इसे सुन के लोग मगन हो जाते है 

ठुमरी में शब्द कम होते है परन्तु जो भी शब्द चुने जाते है वे काफी भाव भरा होता है 

इस गायकी में खूबसूतरी पर अधिक बल दिया जाता है व् गले के द्वारा मींड- कण का खूब प्रयोग किया जाता है 

ठुमरी में दीपचंदी, व् जतताल, का तबले पर कायदो व् प्लटो के साथ खूबसूतरी से प्रयोग किया जाता है 

पंजाब, बनारस, व् लखनऊ,की ठुमरिया काफी प्रसिद्ध रही है 

ठुमरी का आविष्कार लखनऊ के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह ने किया था 

बाजूबंद खुल खुल जाए वर्तमान समय में भैरवी राग की प्रसिद्ध ठुमरी है 

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