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तबले का अविष्कार

तबले का अविष्कार

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1.एक मशहूर मत के अनुसार माना जाता है के किसी पखावच या मृदंग वादक के मुकाबला हार जाने पर उसने अपने वाद्य यंत्र  को पटक दिया जिससे वह दो भागो में टूट गया

2.गुस्सा शांत हो जाने पर उस वादक ने टूटे हुए यंत्र को बजाया और कहा “तब भी बोला” और फिर “तब भी बोला” से ‘तबला’ बन गया

3.यह सोचने वाली बात है की जब तबले की एक भी बद्द्दि ढीली हो तो वह नहीं बोलता फिर टूटा हुआ मृदंग कैसे बोला होगा

4.तबला नाम अरबी भाषा के मूल शब्द तबल से आया है कुछ विद्वान इसे भारतीय परम्परागत वाद्यों की उपज मानते है  और  कुछ इसे पखवाच से निर्मित मानते है

5.अन्य व्यक्तियों द्वारा माना जाता है की तबले की उत्पत्ति पश्चिम एशिया में हुई है तबले का जन्म कहा और कैसे हुआ इसके बारे में कई विचार है

6.पहला है तुर्क व् अरब उत्पत्ति की जब मुग़ल शासक अपनी सेना में ड़रनसे लेके चलते थे इससे तबले की उत्पत्ति हुई है मुग़ल सेना के साथ चलने वाले ये ड़रनसे नगाड़े जैसे होते थे

7.दूसरी मान्यता के तहत अल्लाउदीन खलजी के समय में अमीर खुसरो ने इसे ईजाद किया था परन्तु यह स्पष्ट नहीं हुआ है क्योकि उस समय के कोई भी चित्र या किताबो में इसका ज़िक्र किसी इतिहासकार ने नहीं किया है

8.भारतीय इसकी उत्पत्ति भारत में मानते है और ये कहते है की हाथ में लेके बजाए जाने वाला ताल  वाद्य पुष्कर से इसकी उत्पत्ति हुई है

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9.पुष्कर के प्रमाण पांचवी सदी के अजंता  व् एलोरा की गुफाओ के चित्रों मूर्तियों से मिलते है जो मृदंग के साथ अन्य ताल वाद्यों मे गिने जाते थे तब इनका नाम तबला नहीं था

10.प्रत्येक गुरु का अपना अपना विचार है व् अपने तरीके से वे इसे बजाते है और अपने शिष्यों को सीखते है 18 वी सदी में इसमें काफी बदलाव आये जो सिद्धार्थ खान जिन्होंने  सबसे पुराने दिल्ली  घराने की नीव रखी थी उनके द्वारा किये गए

11.समय के साथ ग़ज़ल ठुमरी क्वाली ख्याल नृत्य आदि म इसके प्रयोग से इसका प्रवाह बढ़ता गया 

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