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तान व् ताने

तान व् ताने

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जब बंदिश गायी जाती है तब वह मध्य लय में होती है

कुछ समय पश्चात जब ताल तेज़ या द्रुत गति में होती है तो इन तानो का प्रयोग किया जाता है

तान एक रूप में राग का गतिपूर्ण विस्तार है

तान में स्वरों को तेज़ गति में कई रूपों में बोलते है 

इसके कई रूप है जैसे – 

सरगम की तान

आकर की तान 

बंदिश बोल तान 

तराने की तान

इनकी परिभाषाये इस प्रकार है –

सरगम की तान- इस तान में अलंकारों व् स्वरों को दोगुनी तेज़ी में गाते है

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आकर की तान – इस तान में स्वरों की जगह मुख से आ का उच्चारण किया जाता है

बंदिश बोल तान – इस तान में स्वरों क रूप में बंदिश के बोलो को तान के रूप में लिया जाता है

तराने की तान – इस तान में स्वरों क रूप में तराने के शब्दो का प्रयोग किया जाता है

तान राग का सबसे उत्साहित रूप है जिसे सुन कर सब आश्चर्यचकित रह जाते है

तानो के रूप में कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन किसी बादल की तरह बारिश के रूप में करता है

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