ध्वनि व् उत्पत्ति
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जो भी कुछ हमारे कान सुन पाते है वह ध्वनि ही होती है
गायक की आवाज़ भी ध्वनि है रट हुए बच्चे की आवाज़ भी ध्वनि है
दो ईटो के टकराने से जो भी आवाज़ उत्पन्न होती है वह भी ध्वनि है
पानी का बहना कदमो का चलना किसी प्रकार का शोर ये सब ध्वनियों के प्रकार है
कुछ ध्वनियों को हम सुनना पसंद करते है और कुछ को नहीं
संगीत में केवल मधुर अर्थात वह ध्वनि प्रयोग की जाती है जो सुरुली हो
अन्य ध्वनिया संगीत उपयोगी नहीं मानी जाती क्योकि वह ध्वनिया आत्मा को सुकून नहीं दे सकती
जब दो वस्तुए आपस में स्पर्श करती है तो उनमे घर्षण होता है
वस्तुओ के उसी घर्षण या रगड़ से ध्वनि उत्पन्न होती है
घर्षण जितना बलशाली होगा आवाज़ भी उतनी ही तेज़ होगी
सितार व् बेला में तारो द्वारा घर्षण होता है
तबले ढोलक व् पखावच में चमड़े द्वारा कम्पन होता है
बांसुरी व् शेहनाई वे हवा द्वारा कम्पन होता है और ये वाद्य यंत्र बोलते है
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