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नाद

नाद

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संगीत में जो भी ध्वनिया प्रयोग में लायी जाती है वे सभी ध्वनिया सुरीली व् मधुर होती है

उन्ही सुरीली व् मधुर ध्वनियों को नाद कहते है  

संगीत उपयोगी इन ध्वनियों की स्थिरता नियमित व् स्पस्ट होती है

जो ध्वनिया अनियमित, अस्थिर, व् अमधुर होती है उनका संगीत में कोई काम नहीं होता अंत हम उन्हें नाद नहीं कह सकते 

नाद की तीन विशेषताएं मानी जाते है 

नाद का छोटा और बड़ा होना 

नाद की उचाई व् निचाई 

नाद की जाति व् गुण

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नाद का छोटा और बड़ा होना – संगीत में हम ध्वनि को धीरे व् ज़ोर से उत्पन कर सकते है धीरे उत्पन की गयी ध्वनि को छोटा व् ज़ोर से उत्पन की गयी ध्वनि को बड़ा नाद कहते है

नाद की उचाई व् निचाई – नाद (स्वर) गाते समय हम यह महसूस करते है की सा, से ऊंचा रे व् रे से ऊंचा ग होता है इसे प्रकार स्वरों को आगे पीछे गाने से उनकी उचाई ऊपर नीचे होती रहती है इसे नाद का ऊंचा या नीचा होना कहा जाता है

नाद की जाति व् गुण – कोई भी नाद अकेला उत्पन नहीं होता उसके साथ अन्य नाद उत्पन होते है जो संगीत में किसी अन्य वाद्य से मिलते है जैसे सारंगी सितार से हारमोनियम तबले से इन नादो का आपस में मिलना ही इसकी जाति व् गुण दिखता है 

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