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पूर्वांग और उत्तरांग

पूर्वांग और उत्तरांग

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सप्तक को दो बराबर भागो मे बाटने के लिए तार सा से जोड़ दिया गया 

सप्तक को स रे ग म प ध नि स दो हिस्सों मे बाट दिया गया

प्रथम भाग स रे ग म को पूर्वांग कहते है

दूरसे भाग प ध नि स को उत्तरांग कहते है 

विशेष कठिनाइयों के कारण पूर्वांग को स से प व् उत्तरांग को म से स तक बढ़ा दिया गया

जिस प्रकार सप्तक के दो हिस्से किये गए 

उसी प्रकार दिन के 24 घंटे के समय को भी दो भागो मे बाटा गया 12 घंटे के दो भाग

दिन के 12 बजे से लेके रात के 12 तक पहला भाग को पूर्वार्ध कहा  जाता है व् दूसरे को उत्तरार्ध कहा जाता है 

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जो राग दिन के 12 बजे से रात 12 बजे तक गाये जाते है उन्हें पूर्व राग कहते है 

जो राग रात के 12 बजे से दिन के 12 बजे तक गाये जाते है उन्हें उत्तर राग कहते है

दिन मे 8 पहर होते है 3  घंटे के चार पूर्वांग के व् चार उत्तरांग के

राग के समय देख के पता लगाया जाता है की राग पूर्व राग है ये उत्तर राग है 

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