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लयकारी

लयकारी

एक समय या पल का समान अंतर ले कर चलने वाली गति को लय कहते है 

जिसप्रकार घड़ी एक समान अंतर लेके चलती है या नदी में पानी एक समान गति में बहता है

 

लयकारी का सीधा सम्बन्ध लय से ही है 

 

जिसप्रकार चलने व् दौड़ने की लय अलग होती है उसी प्रकार संगीत में भी ताल की लय विलम्भित, मध्य, व् द्रुत होती है 

 

लयकारी को संगीत की तालो के चलन प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किया जाता है

एक ताल में राग गाते वक्त ताल का ध्यान रखते हुए स्वरों को गाया लयकारी में आता है

विलम्भित अर्थात धीमी गति में आलापों द्वारा राग का विस्तार किया जाता है 

मध्य या सामान्य लय में बंदिश गायी जाती है  

द्रुत यानि तेज़ लय में राग का विस्तार तानो के द्वारा किया जाता है ये सब लयकारी के ही भाग है

लयकारी में सरगमों व् बंदिश का प्रयोग अधिक होता है व् आकार का प्रयोग काम होता है

लयकारी में निपुणता आने पर गायकर अपनी कला का प्रदर्शन बहुत उत्तम रूप से करता है

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