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वर्ज्य व् विवादी स्वर

वर्ज्य व् विवादी स्वर

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हम जानते है की राग थाट के द्वारा कुछ चुने हुए स्वरों से बनते है 

राग की तीन जातिया होती है पांच स्वर वाली छह स्वर वाली व् सात स्वर वाली 

सात स्वर वाल्व रागो में वर्ज्य स्वर नहीं होता 

वर्ज्य स्वर वह स्वर होते है जिनका उपयोग राग में नहीं किया जाता

उदाहरण राग भोपाली पांच स्वरों का राग है जिसमे म व् नि स्वर प्रयोग नहीं होते

राग वृन्दावनी सारंग पांच स्वरों का राग है जिसमे ग व् ध  प्रयोग नहीं होते अर्थात वे दोनों उस राग के वर्ज्य स्वर है  

कभी कभी राग गाते वक्त उसकी खूबसूतरी बढ़ाने के लिए एक ऐसे स्वर का प्रयोग किया जाता है जो उस राग का नहीं होते उन्ही स्वरों को विवादी स्वर कहा जाता है 

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क्योकि व् श्रोताओ के मन में विवाद पैदा कर देते है क्योकि विवादी स्वर को पहचानना उनके लिए मुश्किल होता है 

राग शिवरंजिनी में कोमल ग के साथ विवादी के तोर पर शुद्ध ग भी लगाया जाता है

विवादी स्वर खूबसूरती के लिए प्रयोग होता है व् वर्ज्य स्वर का प्रयोग कभी नहीं किया जाता है 

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