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वादी, सम्वादी, व् अनुवादी स्वर

वादी, सम्वादी, व् अनुवादी स्वर

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राग में प्रयोग किए जाने वाले स्वरों को तीन श्रेणियों में बाटा गया है वादी, सम्वादी, व् अनुवादी

राग का सबसे महत्वपूर्ण स्वर वादी स्वर कहलाता है 

वादी स्वर- वह स्वर होता है जिसका प्रयोग राग में अन्य स्वरों की अपेक्षा सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है जिस स्वर को राग के विस्तार में बार बार बोला जाता है

वादी स्वर को राग का राजा या ताज भी कहा जाता है 

वादी स्वर इतना महत्व रखता है कि यदि दो रागो में सब समान हो बस वादी स्वर अलग होतो यह रागो को बिलकुल अलग प्रदर्शित करेगा 

सम्वादी स्वर – यह स्वर राग में वादी स्वर से कम व् अन्य स्वरों से अधिक प्रयोग किया जाता है 

इसे राग का मंत्री स्वर कहते है यह वादी स्वर का सहायक स्वर होता है 

वादी व् सम्वादी स्वरों में हमेशा चार से पांच स्वरों कि दूरी रहती है जैसे सा-प या रे-ध 

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अनुवादी स्वर – राग में वादी, सम्वादी हटाने के बाद जिन शेष स्वरों को प्रयोग में लाया जाता है उन्हें अनुवादी स्वर कहते है 

अनुवादी स्वरों को प्रजा भी कहा जाता है 

यह तीनो स्वर मिलकर एक राग को निपुण बनाते है तथा ये एक दूसरे पर निर्भर भी करते है 

 

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