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संतूर का आविष्कार

संतूर का आविष्कार

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1.संतूर की उत्पत्ती लगभग 1800 वर्षों से भी पूर्व ईरान में मानी जाती है बाद में यह एशिया के कई अन्य देशों में प्रचलित हुआ जिन्होंने अपनी-अपनी सभ्यता और संस्कृति के अनुसार इसके रूप में परिवर्तन किए

2.इसकी आवाज़ मन को शांति का एहसास दिलाती है 

3.संतूर भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है

4.संतूर का भारतीय नाम ‘शततंत्री वीणा’ यानी सौ तारों वाली वीणा है जिसे बाद में फ़ारसी भाषा से संतूर नाम मिला

5.संतूर लकड़ी का एक चतुर्भुजाकार बक्सानुमा यंत्र है जिसके ऊपर दो-दो मेरु की पंद्रह पंक्तियाँ होती हैं

6.इसमें तारों की कुल संख्या 60 होती है

7.चार तारो को एक सुर से मिलाया जाता है 

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8.इसे आगे से मुड़ी हुई पतली डंडी से बजाय जाता है 

9.संतूर मूल रूप से कश्मीर का लोक वाद्य यंत्र है और इसे सूफ़ी संगीत में इस्तेमाल किया जाता था यह एक सीमित समुदाय के बीच ही इस्तेमाल होता था जम्मू सहित और जगहों पर लोग इसके बारे में जानते ही नहीं थे

10.शिव कुमार शर्मा भारत के प्रसिद्ध संतूर वादक है

11.पंडित शिवकुमार शर्मा ने इसे लोकप्रिय बनाने में विशेष योगदान दिया

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