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सारंगी का अविष्कार

सारंगी का अविष्कार

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1.सारंगी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक ऐसा वाद्य यंत्र है जो गीत के शब्दों और अपनी धुन के साथ इस तरह मिला लेता जैसे दो आत्माये एक हो गए हो 

2.यह दिल को छू जाने वाला वाद्य है इसकी धुन व्यक्ति को भाव विभोर कर देती है 

3.सारंगी मुख्य रूप से गायकी प्रधान वाद्य यंत्र है। इसको वाद्य यंत्रों की जुगलबंदी के साथ पेश किया जाता है

4.सारंगी शब्द हिन्दी के सौ और रंग से मिलकर बना है जिसका मतलब है सौ रंगों वाला सारंगी वाद्य यंत्र का प्राचीन नाम सारिंदा है जो कालांतर के साथ सारंगी हुआ

5.राग ध्रुपद जो गायन पद्धति का सबसे कठिन राग माना जाता है, सारंगी के साथ इसकी रंजकता अतुल्य है

6.सारंगी स्वर और शांति में संबंध स्थापित करती है

7.सारंगी सीखना कठिन है, जिस वजह से वाद्ययंत्र बजाने वाले युवा इसको पसंद नहीं करते हैं

8.प्राचीन काल में सारंगी घुमक्कड़ जातियों का वाद्य था। मुस्लिम शासन काल में सारंगी नृत्य तथा गायन दरबार का प्रमुख संगीत था

9.सारंगी आकार में अलग-अलग प्रकार की होती है रेगिस्तानी इलाको में दो प्रकार की इस्तेमाल होती है 

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 10.सिंधी सारंगी और गुजरातन सारंगी

11.सारंगी का निर्माण लकड़ी से होता है तथा इसका नीचे का भाग बकरे की खाल से मंढ़ा जाता है

12.इसके पेंदे के ऊपरी भाग में सींग की बनी घोड़ी होती है घोड़ी के छेदों में से तार निकालकर किनारे पर लगे चौथे में उन्हें बाँध दिया जाता है

13.इस वाद्य में 29 तार होते हैं तथा मुख्य बाज में चार तार होते हैं जिनमें से दो तार स्टील के व दो तार तांबे के होते हैं

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