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बाये तबले के अंग

बाये तबले के अंग

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आप सब जानते है की तबला दो भागो में बटा होता है व् इसके दोनों भागो में कई सारे अंग होते है

दाये तबले को चांटी व् बाए तबले को डग्गा कहा जाता है

बाये तबले में आठ अंग होते है जिनके नाम व् परिभाषा इस प्रकार है 

बाये तबले को डग्गा भी कहा जाता है

कुड़ी – दये तबले की गोल बनावट मिटटी, तांबे, या लकड़ी की होती है जिसपर पूड़ी कसी रहती है उसे कुड़ी कहते है

पूड़ी –  दाहिने के समान लकड़ी के मुँह पर लगे हुए पुरे चमड़े को पूड़ी कहते है यह बकरे की खाल की होती है और बद्दी से कसी होती है

गोट – पूड़ी की किनारे किनारे अंदर की और लगे हुए पट्टी को गोट कहते है

गजरा – पूड़ी के चारो तरफ चमड़े की मोती माला होती है जिसे गजरा कहते है यह दोनों भागो में होता है

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स्याही – पूड़ी के बीचो बिच काले गोले को स्याही कहते है यह काले मसाले से बनाई जाती है

लव – चांटी व् स्याही के बिच बचे भाग को लव या मैदान कहते है

डोरी  – गजरे के बिच से जाने वाली चमड़े की लम्बी लम्बी पट्टियों को डोरी कहते है

गुडरी –  दाहिने के समान पट्टियों को एक अलग पट्टी द्वारा निचे से कसा जाता है जिससे तबला खड़ा भी रहता है गुडरी कहलाती है 

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